छत्तीसगढ़

CG- अरपा भैंसाझार परियोजना में करोड़ों का खेला, 2 पूर्व SDM सहित 7 अफसर भी कर रहे नौकरी..

बिलासपुर। राज्य शासन की अति महत्वाकांक्षी योजना में से एक अरपा भैंसाझार नहर मुआवजा मामले में राजस्व अफसरों व सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने मिलकर करोड़ो का खेला कर दिया है। करोड़ों के घोटाले मामले में जांच के बाद 11 अधिकारी व कर्मचारियों को दोषी पाया गया था। राज्य शासन ने इस मामले में पटवारी से आरआई के पद पर पदोन्नत होकर नौकरी कर रहे मुकेश साहू को बर्खास्त कर दिया है। बड़ी मछली अब भी आराम के साथ सरकारी मुलाजिम बने हुए हैं और महत्वपूर्ण पदों पर काबिज हैं। इसमें दो पूर्व एसडीएम के अलावा सिंचाई विभाग के एसडीओ और राजस्व विभाग के अधिकारियों की संलिप्तता उजागर हुई है। जांच रिपोर्ट में दोषी पाए गए हैं।

नहर निर्माण के लिए निजी जमीनों के मुआवजा प्रकरण में बड़ा खेला हुआ है। मुआवजा के लिए राजस्व और सिंचाई विभाग के अफसरों ने डायवर्टेट लैंड को टारगेट पर रखा। इसका कारण भी साफ था। कृषि और डायवर्टेट जमीन का मुआवजा अलग-अलग है। डायवर्टेट जमीन में कृषि भूमि से 20 गुना ज्यादा मुआवजा मिलता है। जिस जमीन पर नहर बना ही नहीं है,वहां की डायवर्टेट जमीन को अधिग्रहण करना बताते हुए करोड़ों रुपये का मुआवजा दे दिया है। जिस जमीन का अधिग्रहण होना बताया है,मौके से वह जमीन बहुत दूर है। कागज में उसी जमीन पर नहर बनाना बताया गया है।

नहर के अलाइमेंटको बदल दिया

नहर निर्माण के लिए जिस जगह और जिन जमीनों का सर्वे के बाद चयन किया गया था, अफसरों ने अधिग्रहित भूमि के दायरे को ही बदल दिया। दायरा बदलने के साथ ही मुआवजा भी बढ़ा दिया। नहर के अलाइमेंट को बदल कर सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाने का काम किया गया है। नहर के अलाइमेंट में होरिजेंटल आने वाली जमीन को वर्टिकल दिखाया गया है। दस्तावेजों में कलम के हेर-फेर से करोड़ों का खेला कर दिया है।

चार साल से दबी है फाइल

भू अधिग्रहण और अर्जन में गड़बड़ी के आरोप में जांच कराई गई थी। 24 जुलाई 2021 को पेश जांच रिपोर्ट मेंसकरी पटवारी हल्का नंबर 45 में पदस्थ पटवारी मुकेश साहू को दोषी ठहराते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की गई थी। कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। संतोषजनक जवाब न मिलने पर 26 जुलाई 2021 को निलंबित कर दिया था। इस बीच आरआई के पद पर पदोन्नति हो गई। राज्य शासन ने आरआई मुकेश साहू को बर्खास्त कर दिया है।

इन अफसरों को ठहराया है दोषी

कीर्तिमान सिंह राठौर पूर्व एसडीएम, आनंद रूप तिवारी पूर्व एसडीएम, मोहर साय सिदार तत्कालीन नायब तहसीलदार, हुल सिंह तत्कालीन राजस्व निरीक्षक, आरएस नायडू, एके तिवारी सिंचाई विभाग, राजेंद्र प्रसाद मिश्रा, आरपी द्विवेदी एसडीओ व आरके राजपूत सब-इंजीनियर।

 खसरा जिसके जरिए हुआ करोड़ों का हुआ फर्जी भुगतान

खसरा नंबर भुगतान लाखों में

1/6 304.8 लाख

1/4 95.14 लाख

1/4 37.37 लाख

9/5 76.51 लाख

10/4 81.38 लाख

18/9 ख 64.03 लाख

19 88.76 लाख

42/17 41.31 लाख

42/7 65.80 लाख

42/5 67.74 लाख

44/21 63.98 लाख

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