दिल्ली। भारतीय विदेश सेवा (IFS) के एक सीनियर अधिकारी जितेंद्र रावत ने शुक्रवार (7 मार्च) को दिल्ली के चाणक्यपुरी इलाके में एक रेजिडेंशियल बिल्डिंग की चौथी मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली। पुलिस के अनुसार, मृतक की पहचान जितेंद्र रावत (उम्र 35-40 वर्ष) के रूप में हुई है। जांच में कोई संदिग्ध गतिविधि सामने नहीं आई है। अधिकारी डिप्रेशन से पीड़ित थे और उनका इलाज चल रहा था।
क्या है पूरा मामला-
जितेंद्र रावत विदेश मंत्रालय (MEA) की सोसायटी की पहली मंजिल पर अपनी मां के साथ रह रहे थे। उनकी पत्नी और बच्चे देहरादून में रहते हैं। बताया जा रहा है कि उन्होंने शुक्रवार सुबह करीब 6 बजे विदेश मंत्रालय की सोसायटी में अपने रेजिडेंशियल बिल्डिंग की छत से छलांग लगा दी। घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गई।
पुलिस ने शुरू की जांच घटना की सूचना मिलते ही दिल्ली पुलिस मौके पर पहुंची और मामले की जांच शुरू कर दी। पुलिस ने मौत की पुष्टि करते हुए कहा कि किसी साजिश की आशंका नहीं है। अभी तक आत्महत्या का कारण स्पष्ट नहीं है। पुलिस के एक अनुसार, “जितेंद्र रावत पिछले कुछ दिनों से परेशान थे। घटनास्थल से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है।”
विदेश मंत्रालय ने जारी किया बयान विदेश मंत्रालय (MEA) ने एक बयान में कहा, “विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी का 07 मार्च, 2025 की सुबह नई दिल्ली में निधन हो गया। मंत्रालय परिवार को हर संभव सहायता प्रदान कर रहा है और दिल्ली पुलिस के संपर्क में है।” मंत्रालय ने आगे कहा, “मंत्रालय दुख और कठिनाई की इस घड़ी में परिवार के साथ खड़ा है। इस शोक की घड़ी में परिवार की निजता का सम्मान करने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए आगे की जानकारी जारी नहीं की जा रही है।”
कौन थे जितेंद्र रावत ?
जितेंद्र रावत उत्तराखंड के रहने वाले थे और भारतीय विदेश सेवा (IFS) के एक सीनियर अधिकारी थे। वह विदेश मंत्रालय में एक महत्वपूर्ण पद पर तैनात थे। उनके सहकर्मियों और परिवार के सदस्यों ने बताया कि वह पिछले कुछ समय से मानसिक तनाव से जूझ रहे थे।
चाणक्यपुरी का राजनयिक महत्वचाणक्यपुरी को दिल्ली के राजनयिक क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। यहां विभिन्न देशों के दूतावास और सरकारी कार्यालय स्थित हैं। इस इलाके में ऐसी घटना ने लोगों को हिला कर रख दिया है। जितेंद्र रावत की आत्महत्या का मामला गंभीर है और इसकी जांच दिल्ली पुलिस द्वारा की जा रही है। अभी तक आत्महत्या का सटीक कारण स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह मामला मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को एक बार फिर उजागर करता है। विदेश मंत्रालय ने परिवार को हर संभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया है।