धर्मनेशनल

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन बन रहा ये शुभ संयोग..जानिए कब है कृष्ण जन्माष्टमी..कृष्ण भक्त जानें क्या है शुभ मुहूर्त और कैसे करें भगवान श्रीकृष्ण की पूजा…

रायपुर

हिन्दू धर्म के अनुसार भागवान कृष्ण, विष्णु जी के अवतार थे। उनके जन्मदिवस को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। भारत के अलावा विदेशों में भागवान कृष्ण के भक्त इस दिन को बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण का अवतरण भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आधी रात में हुआ था। इस साल जन्माष्टमी पर दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस दिन भगवान कृष्ण की झाकियां निकाली जाती थी और कृष्ण भक्त उपवास रखते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस साल यह पर्व 30 अगस्त के दिन सोमवार को पड़ रहा है। हिन्दू शास्त्रों में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के व्रत को ‘व्रतराज’ की उपाधि दी गई है, जिसके अनुसार माना गया है कि इस दिन व्रत करने से व्यक्ति को साल भर के व्रतों से भी अधिक शुभ फल प्राप्त होते हैं।

जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त और समय

श्री कृष्ण जन्माष्टमी- सोमवार 30 अगस्त

निशीथ पूजा मुहूर्त- रात 11 बजकर 59 मिनट से रात 12 बजकर 44 मिनट तक

पूजा मुहूर्त की अवधि- 44 मिनट

जन्माष्टमी व्रत पारण मुहूर्त- 31 अगस्त को सुबह 5 बजकर 57 मिनट के बाद

कैसे करें भगवान कृष्ण की पूजा

जन्माष्ठमी के दिन सुबह जल्दी उठकर नहाने के बाद साफ कपड़े पहनें और उत्तर या पूर्व दिशा में मुख करके व्रत का संकल्प लें। अब माता देवकी और भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या फोटो को पालने में रखें। पूजा करते समय देवकी, वासुदेव, बलदेव, नन्द, यशोदा देवताओं के नाम जपें। रात में 12 बजे के बाद श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाएं। उनका अभिषेक पंचामृत से करें और उन्हें नए वस्त्र अर्पित करें। अब उन्हें झूला झुलाएं और पंचामृत में तुलसी डालकर माखन-मिश्री और धनिये की पंजीरी का भोग लगाएं। अब आरती करें और प्रसाद भक्तजनों में वितरित करें।

क्या है इस पर्व का महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु जी ने कंस का वध करके पृथ्वी में फिर से धर्म की स्थापना के लिए श्रीकृष्ण के रूप में जन्म लिया था। उनका जन्म इसी दिन हुआ था। इसलिए इस दिन को कृष्ण जन्माष्टी के रूप में मनाया जाता है। शास्त्रों में जन्माष्टमी के व्रत को व्रतराज कहा गया है। भविष्य पुराण के अनुसार जिस घर में यह देवकी-व्रत किया जाता है वहां अकाल मृत्यु, गर्भपात, वैधव्य, दुर्भाग्य और कलह नहीं होती। जो भी भक्त एक बार भी इस व्रत को करता है वह संसार के सभी सुखों को भोगकर विष्णुलोक में निवास करता है।

पौराणिक ग्रंथों में ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण का अवतरण भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आधी रात में हुआ था। इस साल जन्माष्टमी पर दुर्लभ संयोग बन रहा है। श्रीमद भागवत पुराण के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आधी रात में हुआ था। उस समय वृषभ राशि में चंद्रमा और रोहिणी नक्षत्र का संयोग था। ऐसा ही संयोग इस बार 30 अगस्त को पड़ रही जन्माष्टमी पर पड़ रहा है।
कृष्ण जन्माष्टमी कैसे मनानी चाहिए? (Krishna Janmashtami Celebration)
ज्योतिषाचार्य डा.दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार इस साल 2021 में 30 अगस्त सोमवार को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म काल के समय जिस तरह का संयोग था, कुछ इसी तरह का संयोग इस बार बन रहा है। साथ ही सर्वार्थसिद्धि योग भी है।
उदयाकाल का महत्व इसलिए 30 को मनेगी जन्माष्टमी
हिंदू पंचांग में किसी भी पर्व, त्योहार का महत्व उदयाकाल में पड़ने वाली तिथि पर माना जाता है। चूंकि 29 अगस्त की रात 11.25 बजे अष्टमी तिथि शुरू हो रही है, लेकिन यह अगले दिन 30 अगस्त को सूर्योदय पर भी विद्यमान रहेगी। साथ ही अष्टमी तिथि 30 अगस्त की रात्रि में लगभग दो बजे तक है, इसलिए 30 अगस्त को जन्माष्टमी मनाना श्रेष्ठ है।
व्रत का पारणा 31 को

जन्माष्टमी का व्रत करने वालों को 30 अगस्त को दिनभर उपवास रखकर, आधी रात को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मउत्सव पूजा करके अगले दिन 31 अगस्त को व्रत का पारणा करना चाहिए।

एक साथ कई योग
जन्माष्टमी पर छह योग का संयोग बन रहा है। भाद्रपद की अष्टमी तिथि सूर्योदय के साथ आधी रात को भी है, इस दिन रोहिणी नक्षत्र भी है। साथ ही वृषभ राशि में चंद्रमा विद्यमान रहेगा। ऐसा माना जाता है कि जन्माष्टमी सोमवार अथवा बुधवार को पड़े तो विशेष महत्व होता है। इस बार सोमवार को सुबह हर्षण योग होने से खास महत्व है।
Back to top button