थाइलैंड
थाइलैंड और कंबोडिया के बीच विवादित सीमा पर फिर से हिंसा भड़क उठी है। सोमवार को थाइलैंड ने कंबोडियाई सैन्य ठिकानों पर हवाई हमले किए, जिसमें एक थाइ सैनिक की मौत और चार कंबोडियाई नागरिकों की जान चली गई। दोनों देश एक-दूसरे पर ट्रंप द्वारा कराई गई शांति डील तोड़ने का आरोप लगा रहे हैं। इस संघर्ष से हजारों लोग अपने घरों से भाग रहे हैं और पूर्वी एशिया में स्थिरता पर सवाल खड़े हो गए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 'शांति की जीत' अब खतरे में है, जिसके लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार की सिफारिश तक मिल चुकी थी।
दोनों देशों के बीच सीमा पर दूसरे दिन भी भीषण लड़ाई जारी रही, जिसके कारण हजारों नागरिक अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर भागने को मजबूर हो गए। मंगलवार को कंबोडिया के शक्तिशाली सीनेट अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री हुन सेन ने वादा किया कि उनका देश थाइलैंड के खिलाफ कड़ी लड़ाई लड़ेगा और अपनी भूमि की रक्षा करेगा।
कैसे भड़का नया संघर्ष?
रविवार रात दोनों देशों की सीमा पर हुई झड़प में एक थाई सैनिक की मौत के बाद तनाव अचानक बढ़ गया। जुलाई में हुई पांच दिन की जंग को खत्म करने के लिए हुए संघर्षविराम के बावजूद गोलाबारी फिर शुरू हो गई। जुलाई के संघर्ष में दोनों तरफ दर्जनों नागरिक और सैनिक मारे गए थे और लगभग एक लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया था।
दोनों देशों के आरोप-प्रत्यारोप तेज
हुन सेन ने फेसबुक और टेलीग्राम पर पोस्ट कर दावा किया कि कंबोडिया ने सोमवार तक संयम दिखाया, लेकिन रात में थाई सेना की गतिविधियों के जवाब में फायरिंग की। उन्होंने कहा कि थाइलैंड की बढ़त वाले क्षेत्रों पर केंद्रित जवाबी कार्रवाई से दुश्मन की ताकत को कमजोर कर नष्ट किया जा सकता है।
थाई सेना ने आरोप लगाया कि कंबोडियाई बलों ने मंगलवार सुबह साकेओ प्रांत के एक गांव पर तोप के गोले दागे, हालांकि इसमें कोई हताहत नहीं हुआ। थाई सैन्य प्रवक्ता ने यह भी कहा कि रविवार और सोमवार को भी कंबोडिया ने उसकी चौकियों पर हमला किया। हुन सेन ने कहा- कंबोडिया शांति चाहता है, लेकिन अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए लड़ने को मजबूर है।
ताजा हताहतों का आंकड़ा
कंबोडियाई सेना के अनुसार, ताजा संघर्ष में 7 नागरिकों की मौत और 20 लोगों के घायल होने की पुष्टि हुई है।
थाई सेना ने बताया कि एक सैनिक की मौत और 29 सैनिक घायल हुए हैं।
थाई रियर एडमिरल सुरासंत कोंगसिरी ने कहा कि नौसेना को पूर्वी सीमा पर मजबूत किया जा रहा है।
थाइलैंड के एयरस्ट्राइक जारी रहेंगे
थाइलैंड ने सोमवार को सीमा के पास कई हवाई हमले किए, जिन्हें उसने रक्षात्मक कार्रवाई बताया। ये हमले कंबोडिया की सैन्य पोस्टों को निशाना बनाकर किए गए थे। सुरासंत ने कहा कि यह अभियान हमलों के बंद होने तक जारी रहेगा।
लोगों का बड़े पैमाने पर पलायन
दोनों तरफ के गांवों में रहने वाले लोग अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंच रहे हैं। थाइलैंड की दूसरी आर्मी रीजन ने बताया कि उसने चार सीमा प्रांतों में लगभग 500 अस्थायी शिविर स्थापित किए हैं, जिनमें 1,25,838 लोग शरण ले चुके हैं। बाकी लोग रिश्तेदारों के यहां जा रहे हैं। कंबोडिया ने भी सीमा के करीब बसे गांवों से लोगों के पलायन की पुष्टि की है। थाई प्रधानमंत्री अनुतिन चार्नवीराकुल ने टेलीविजन संबोधन में कहा कि देश अपनी सुरक्षा के लिए हर जरूरी सैन्य कार्रवाई करेगा। उन्होंने कहा- थाइलैंड ने कभी हिंसा नहीं चाही, लेकिन अपनी संप्रभुता का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं करेगा।
सदियों पुराना विवाद, बार-बार भड़कता तनाव
दोनों देशों के बीच 800 किलोमीटर से अधिक लंबी भूमि सीमा पर कई बार तनाव होता रहा है। जुलाई में हुए संघर्षविराम को मलेशिया ने मध्यस्थता कर कराया था और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दबाव के कारण दोनों देशों को इसे स्वीकार करना पड़ा था। ट्रंप ने व्यापारिक विशेषाधिकार वापस लेने की चेतावनी दी थी। अक्टूबर में हुआ विस्तृत समझौता- जिसमें भारी हथियार हटाना, गलत सूचना रोकना, विश्वास बहाली और बारूदी सुरंगों को हटाने में सहयोग जैसी बातें शामिल थीं। वह आज तक पूरी तरह लागू नहीं हो पाया है। इसके बाद दोनों देशों ने एक–दूसरे पर दुष्प्रचार, सीमा उल्लंघन और उत्तेजक बयानबाजी जारी रखी।
कैदी और बारूदी सुरंगें बढ़ा रहीं तनाव
कंबोडिया की मुख्य शिकायत यह है कि थाइलैंड संघर्षविराम लागू होने के दौरान पकड़े गए 18 कैदियों को अभी भी नहीं छोड़ रहा है। थाइलैंड का आरोप है कि कंबोडिया ने विवादित क्षेत्रों में नई बारूदी सुरंगें बिछाई हैं, जिनसे कई थाई सैनिक घायल हुए हैं। कंबोडिया का कहना है कि यह पुराने गृहयुद्ध की सुरंगें हैं, जो 1999 तक चले संघर्ष से बची हुई हैं। इन्हीं मुद्दों के कारण थाइलैंड ने इस माह की शुरुआत में सीजफायर समझौते के क्रियान्वयन को अनिश्चितकाल के लिए रोकने की घोषणा कर दी। यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने नई हिंसा पर गंभीर चिंता जताई है, खासकर हवाई हमलों और भारी हथियारों के इस्तेमाल पर।



