
रायपुर। रेरा में बिना पंजीयन कराए प्रॉपर्टी बेचने की कोशिश की तो उस पर कड़ी कार्रवाई होगी। दरअसल एक जून से प्रदेश में रेरा पूरी तरह से कानून लागू हो गया। रेरा द्वारा पहले से ही रियल इस्टेट कारोबारियों को इसकी चेतावनी दी जा चुकी है कि एक जून से उनका कोई गलत काम नहीं चलेगा। रेरा के नियमों को उन्हें मानना ही होगा।लेकिन इस चेतावनी के बाद भी बिल्डरों की एक जमात अभी तक रेरा में पंजीयन नही करा कर गलत तरीके से कानून का उलंघन कर अपने कालोनी को पुराना है मान कर रेरा से बचने की जुगत लगा रहे है ।लेकिन रेरा कानून से अब बिल्डर अपना पीछा नही छुड़ा सकते है ।कुछ बिल्डर की अपनी मनमानी भी जगजाहिर है जो कुछ अधिकारी की चापलूसी कर रेरा से बच निकलने का दावा कर रहे है ।बिल्डर पर मनमानी करने, मकान बना कर हितग्रहियों को अधर में रखने की शिकायतें रेरा में करने से अब जागरूक हितग्रहियों का अधिकार बिल्डरों पर भारी पड़ने वाला है ।रायपुर में सबसे ज्यादा नई कॉलोनी बरोदा ,सड्डू, मोवा ,दलदल सिवनी इलाके में बिल्डरों की है जो अरबो पति बन गए है।
जानकारी के अनुसार करीब 600 प्रोजेक्ट तथा 189 बिल्डर है । रेरा कानून उपभोक्ताओं के हितों के लिए बनाया गया है तथा बिना इसमें पंजीयन के कोई भी अपना प्रोजेक्ट नहीं बेच सकता। रेरा कानून की वजह से रियल इस्टेट सेक्टर में जबरन प्रवेश किए हुए करीब 40 फीसदी कारोबारी बाहर हो गए हैं। बताया जा रहा है कि ये कारोबारी लोहा, कपड़ा आदि कारोबार से भी जुड़े हुए हैं तथा पिछले दिनों रियल इस्टेट में लोगों के रुझान को देखते हुए इस क्षेत्र में आ गए थे। अब रेरा के आ जाने से ये इस सेक्टर से बाहर हो गए हैं।
रेरा से अब यह होगा फायदा
1. उपभोक्ताओं को समय पर मिलेंगे मकान।
2. बिना उपभोक्ता की अनुमति के ब्रोशर में भी बदलाव नहीं हो सकता।
3. अपने पूरे प्रोजेक्ट के साथ ही प्रत्येक फेस के लिए अलग रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
4. बिना रेरा में रजिस्ट्रेशन कराए कोई भी बिल्डर प्लॉट,फ्लैट या भवन नहीं बेच सकता।
5. ऐसे प्रोजेक्ट जिनका प्रस्तावित एरिया 500 वर्गमीटर या दुकान 8 से अधिक है। उनका रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है।
6. उपभोक्ता को दिए गए समय के अनुसार ही काम पूरे करने होंगे।
7. प्रोजेक्ट के लिए ली गई राशि का 70 प्रतिशत अलग बैंक खाते में करना होगा तथा उसी उद्देश्य में व्यय करना होगा।