भोपाल । वरिष्ठ ifs अफसर दीपाली रस्तोगी के लेखनी से विवाद हो गया है।अख़बारों में लिखे इस लेख में उन्होंने आईएएस अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं।
1994 बैच की आईएएस अधिकारी दीपाली रस्तोगी के अख़बारों में छपे लेख में उन्होंने ‘आईएएस अधिकारियों की कार्यप्रणाली’ पर सवाल खड़े किए हैं। मीडिया से मिली जानकारी के मुताबिक, दीपाली रस्तोगी ने अपने लेख में लिखा गया है, “अब अच्छे आईएएस अधिकारी की परिभाषा बदल चुकी है। अच्छा अधिकारी उसी को माना जाता है जो नेता की इच्छा के हिसाब से काम करता है।
जानकारी के मुताबिक, आईएएस अफसर दीपाली रस्तोगी आगे लिखती हैं, “नेता के मुंह से जो शब्द निकले उसके हिसाब से अफसर अपनी योजनाएं बनाएं, अच्छा आईएएस अधिकारी वही होता है जिसका अपना कोई मत नहीं होता। अगर होता भी है, तो वो उसे कहता नहीं है अपने मन में सीमित रखता है। पिछले कुछ सालों में नौकरशाही और राजनीति, सही और गलत, सच और झूठ के बीच की लकीरें हल्की होती जा रही हैं। आईएएस अफसर अपनी सोच खोते जा रहे हैं।“
दीपाली लिखती हैं, “राजनीतिक आका के बोलने से पहले ही अफसर उसकी इच्छा जान ले, उसके अमल के लिये तैयार हो जाए। आदिम कल्याण विभाग की कमिश्नर दीपाली रस्तोगी ने लेख में कहा कि नेताओं के डर से ऐसे अधिकारी मुंह नहीं खोलते। समाज सेवा करने के लिए बने आईएएस सेवा का व्यवहार ही नहीं करते।”
दीपाली ने लिखा, “हम लोग लोक सेवक हैं, लोक सेवा नहीं करते, देश से कोई लगाव भी नहीं। हमारे बच्चे विदेशों में पढ़ रहे हैं और लग्जरी जीवन जी रहे हैं। अगर देश में न्याय सही मिलता तो हमारी कौम बहुत ही पहले खत्म हो जाती या दुर्लभ हो गई होती।”
लोग हमारा सम्मान सिर्फ इसलिए करते हैं, क्योंकि हमारे पास नुकसान और फायदा पहुंचाने की ताकत होती है। हम लोगों की कोई दूरदृष्टि नहीं, नेताओं को खुश करने वाले निर्णय लेते हैं। व्यवस्था सुधारने के लिए दरअसल हम काम ही नहीं करते और यह डर रहता है कि व्यवस्था बेहतर कर दी तो कोई पूछेगा ही नहीं।
लेटरल एंट्री के सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि नेताओं को खुश करने उनके हिसाब से काम करने, झूठ और सच को सही और गलत में अंतर खत्म करने से मूल विचार खत्म हो गए हैं। दीपाली 1994 बैच की आईएएस अधिकारी हैं और उनके पति मनीष रस्तोगी भी राज्य सरकार में सीनियर आईएएस हैं। कुछ दिन पहले ही ई-टेंडरिंग टेंपरिंग घोटाले को उजागर करने को लेकर मनीष रस्तोगी चर्चाओं में है।