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मोदी सरकार के एक फैसले से 18 लाख महिलाओं की छीन सकता है नौकरी

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नई दिल्ली । मोदी सरकार देश में महिला कर्मचारियों की भागीदारी बढ़ाने के लिए विशेष जोर दे रही है। सरकार ने महिलाओं को सहूलियत देने के लिए पिछले साल मातृत्व अवकाश संबंधी नया कानून पेश किया था। हालांकि यह कानून अब महिलाओं के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है। इस नए कानून से देशभर में करीब 18 लाख महिलाओं की नौकरी जा सकती है। एक सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है।

केंद्र सरकार ने पिछले साल कानून में बदलाव करते हुए कामकाजी गर्भवती महिलाओं की वेतन समेत छुट्टियां 12 सप्ताह से बढ़ा कर 26 सप्ताह कर दी गई थी। जिसके बाद भारत प्रगतिशील देश बना गया था। इस बदलाव से कनाडा और नॉर्वे के बाद भारत में ही महिलाओं को नौकरी में बने रहने के रास्ते खुल गए थे।

वहीं मानव संसाधन कंपनी के एक सर्वे के मुताबिक यह कंपनियों का बोझ बढ़ाने वाला प्रावधान था। भारत में इस कानून की वजह से स्टार्टअप्स और छोटे बिजनेस में महिलाओं की जगह नहीं मिल पा रही है। सर्वे के मुताबिक इस कानून की वजह से फाइनेंशियल ईयर अप्रैल 2018 से मार्च 2019 तक 10 सेक्टर्स में 11 लाख से 18 लाख महिलाओं की नौकरी जा सकती है।

टीमलीज़ सर्विसेज की सह-संस्थापक और कार्यकारी उपाध्यक्ष ऋतुपर्णा चक्रवर्ती ने बताया कि पुराने आंकड़ों के अनुसार, 2004-05 से 2011-12 में महिलाओं की निकासी की दर सात साल में 28 लाख रही। संशोधित मातृत्व लाभ अधिनियम के बाद एक साल में 11 से 18 लाख महिलाओं की नौकरी जाना हैरान करता है। उन्होंने कहा कि अगर हम इसे हर सेक्टर्स के साथ जोड़कर देखें, तो मातृत्व लाभ अधिनियम के चलते एक साल के भीतर करीब 1 से 1.20 करोड़ महिलाओं की नौकरी जा सकती है। ब्रिटेन में महिलाओं को 52 सप्ताह का मातृत्व अवकाश लेने का विकल्प है, हालांकि 52 सप्ताह तक कर्मचारियों को भुगतान करने का बोझ कंपनी के ऊपर नहीं होता।

सर्वे विमानन, सूचना प्रोद्योगिकी, आईटी, रियल एस्टेट, शिक्षा, ई-कॉमर्स, मैन्युफेक्चरिंग, बैंकिंग और फाइनेंशियल के साथ-साथ रिटेल और टूरिज्म जैसी 300 कंपनियों के बीच किया गया। इससे पता चला कि बड़ी और व्यावसायिक कंपनियां सुधार उपायों को वापस लाएंगी। यही वजह है कि पूरी तरह नियोक्ता पोषित छोटी कंपनियां और मध्यम आकार कंपनियां महिलाओं को भर्ती करने का विरोध करती हैं। गौरतलब है कि पिछले साल मोदी सरकार ने संगठित क्षेत्रों में काम करने वाली महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश संबंधी नया कानून पेश किया था। जिसमें मातृत्व अवकाश 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया गया था।

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नई दिल्ली । मोदी सरकार देश में महिला कर्मचारियों की भागीदारी बढ़ाने के लिए विशेष जोर दे रही है। सरकार ने महिलाओं को सहूलियत देने के लिए पिछले साल मातृत्व अवकाश संबंधी नया कानून पेश किया था। हालांकि यह कानून अब महिलाओं के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है। इस नए कानून से देशभर में करीब 18 लाख महिलाओं की नौकरी जा सकती है। एक सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है।

केंद्र सरकार ने पिछले साल कानून में बदलाव करते हुए कामकाजी गर्भवती महिलाओं की वेतन समेत छुट्टियां 12 सप्ताह से बढ़ा कर 26 सप्ताह कर दी गई थी। जिसके बाद भारत प्रगतिशील देश बना गया था। इस बदलाव से कनाडा और नॉर्वे के बाद भारत में ही महिलाओं को नौकरी में बने रहने के रास्ते खुल गए थे।

वहीं मानव संसाधन कंपनी के एक सर्वे के मुताबिक यह कंपनियों का बोझ बढ़ाने वाला प्रावधान था। भारत में इस कानून की वजह से स्टार्टअप्स और छोटे बिजनेस में महिलाओं की जगह नहीं मिल पा रही है। सर्वे के मुताबिक इस कानून की वजह से फाइनेंशियल ईयर अप्रैल 2018 से मार्च 2019 तक 10 सेक्टर्स में 11 लाख से 18 लाख महिलाओं की नौकरी जा सकती है।

टीमलीज़ सर्विसेज की सह-संस्थापक और कार्यकारी उपाध्यक्ष ऋतुपर्णा चक्रवर्ती ने बताया कि पुराने आंकड़ों के अनुसार, 2004-05 से 2011-12 में महिलाओं की निकासी की दर सात साल में 28 लाख रही। संशोधित मातृत्व लाभ अधिनियम के बाद एक साल में 11 से 18 लाख महिलाओं की नौकरी जाना हैरान करता है। उन्होंने कहा कि अगर हम इसे हर सेक्टर्स के साथ जोड़कर देखें, तो मातृत्व लाभ अधिनियम के चलते एक साल के भीतर करीब 1 से 1.20 करोड़ महिलाओं की नौकरी जा सकती है। ब्रिटेन में महिलाओं को 52 सप्ताह का मातृत्व अवकाश लेने का विकल्प है, हालांकि 52 सप्ताह तक कर्मचारियों को भुगतान करने का बोझ कंपनी के ऊपर नहीं होता।

सर्वे विमानन, सूचना प्रोद्योगिकी, आईटी, रियल एस्टेट, शिक्षा, ई-कॉमर्स, मैन्युफेक्चरिंग, बैंकिंग और फाइनेंशियल के साथ-साथ रिटेल और टूरिज्म जैसी 300 कंपनियों के बीच किया गया। इससे पता चला कि बड़ी और व्यावसायिक कंपनियां सुधार उपायों को वापस लाएंगी। यही वजह है कि पूरी तरह नियोक्ता पोषित छोटी कंपनियां और मध्यम आकार कंपनियां महिलाओं को भर्ती करने का विरोध करती हैं। गौरतलब है कि पिछले साल मोदी सरकार ने संगठित क्षेत्रों में काम करने वाली महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश संबंधी नया कानून पेश किया था। जिसमें मातृत्व अवकाश 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया गया था।

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