नई दिल्ली। सरकार ने ब्यूरोक्रेसी में लैटरल एंट्री की शुरुआत कर दी है, यानी प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारी भी मंत्रालयों में ज्वाइंट सेक्रेटरी बन सकते हैं। सरकार की ओर से तर्क दिया गया है कि इससे मंत्रालय देश के ज्यादा अनुभवी लोगों का लाभ ले पाएगा। केंद्र सरकार की ओर से 10 मंत्रालयों में ज्वॉइंट सेक्रेटरी के लिए वैकेंसी निकाल गई है, जिसे लेकर कांग्रेस ने सवाल खड़े कर दिए हैं। दरअसल सरकार ने ब्यूरोक्रेसी में लैटरल एंट्री की शुरुआत कर दी है, यानी, ब्यूरोक्रेसी का हिस्सा बनने के लिए UPSC की परीक्षा पास करने की अनिवार्यता नहीं होगी। प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारी भी मंत्रालयों में ज्वाइंट सेक्रेटरी बन सकते हैं। विज्ञापन के मुताबिक लैटरल एंट्री के तहत होने वाली ज्वाइंट सेक्रेटरी का कार्यकाल तीन साल का होगा, अगर कामकाज संतोषजनक रहता है तो उनके कार्यकाल को पांच साल तक बढ़ाया जा सकेगा।
प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने पूरे मामले पर कहा कि यह सरकार की अच्छी पहल है। स्पष्ट है कि हम सबसे योग्य लोगों को मंत्रालय में लाना चाहते हैं। वहीं कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, ‘ऐसे नहीं होता है, फैसला ले लिया और सुबह में पेपर में विज्ञापन दे दिया, इनको सरकार चलाना नहीं आता है।
निजी क्षेत्रों से सरकार में अफसर बनाने के लिए अधिसूचना जारी की गई। 30 जुलाई तक आवेदन मांगे गए हैं। 15 साल का अनुभव आवेदन के लिए जरूरी है। 30 जुलाई तक आवेदन भेज सकते हैं। नियुक्त होने वाले जॉइंट सेक्रटरीज का कार्यकाल 3 से 5 साल का होगा।