अधिक प्यास लगना डाइबिटीज का कारण हो सकता है। आज की लाइफस्टाइल के कारण डायबिटीज का खतरा बढ़ गया है। मधुमेह एक ऐसा रोग है जिसके रोगी को बहुत समय तक तो इस रोग के होने का पता ही नहीं चलता है। आधुनिक समय में यह अंग्रेजी के शब्द ´डाइबिटीज´ के नाम से जाना जाता है। इस तरह के रोग में रोगी के पेशाब के साथ शहद जैसा पदार्थ निकलता है, यह रोग धीरे-धीरे होता है। इसके प्रभाव से शरीर की शक्ति घटती जाती है। इस रोग के शुरुआत में स्वभाव में चिड़चिड़ापन, आलस्य, प्यास अधिक लगना, अधिक पानी पीना, काम में मन न लगना, जी घबराना औ कब्ज की शिकायत आदि लक्षण प्रकट होते हैं।
आज यह किसी को भी हो सकती है। लेकिन डायबिटीज होने से पहले बॉडी कुछ ऐसे संकेत देती हैं, जिन्हें समझकर हम इस बीमारी से बच सकते हैं। अगर आपको जरूरत से ज्यादा प्यास लग रही है तो सचेत हो जाने की जरूरत है। जी, हां जरूरत से ज्यादा पानी पीना डायबिटीज की निशानी हो सकती है।मधुमेह रोग में रोगी बार-बार मूत्र त्याग करते हैं तो प्यास लगने के कारण अधिक जल पीते हैं। रक्ताल्पता (एनीमिया) रोग में भी स्त्री-पुरुष प्यास से पीड़ित दिखाई देते हैं।
जल पीने पर ही उनकी बेचैनी कम होती है। ग्रीष्म ऋतु में उष्ण वातावरण होने के कारण अधिक पसीना आता है। अधिक पसीना आने से शरीर में जल की कमी हो जाती है तो अधिक प्यास लगती है। ज्यादा प्यास लगने का प्रमुख कारण होता है कि खून में शुगर की मात्रा का बहुत ज्यादा होना। ज्यादा प्यास लगने पर मधुमेह का निदान कराना चाहिए। जिससे कि पता चल सके कि आपकी किड्नी अच्छे से काम कर रही है या नहीं। बहुत अधिक या बार-बार प्यास लगना डायबिटीज का प्रमुख सिम्पटम होता है। डायबिटीज होने पर आपकी किडनी ज्यादा से ज्यादा ग्लूकोज बनाती है। इससे आपकी बॉडी में पानी की कमी होने के साथ ही आपको प्यास लगती है। इसलिए अधिक प्यास लगने पर उसे सामान्य बात नहीं मानकर तुरंत डॉक्टर से कान्टैक्ट करना चाहिए।