मुंबर्ई। मुंबई के एचडीएफसी बैंक के वाइस प्रेजिडेंट सिद्धार्थ किरन सिंघवी की हत्या कर दी गयी है। सिद्धार्थ सिंघवी का शव कल्याण हाईवे से बरामद कर लिया गया है। संघवी 5 सितंबर से मुंबई स्थित अपने कमला मिल्स ऑफिस से लापता चल रहे थे। पुलिस ने इस मामले में सरफराज शेख नामक शख्स को गिरफ्तार किया है। सिद्धार्थ के लापता होने की गुत्थी मुंबई पुलिस ने लगभग सुलझा ली है। नवी मुंबई क्राइम ब्रांच ने बीस साल के एक मजदूर को हिरासत में लिया है जिसका नाम रईस उर्फ सरफराज शेख है। पुलिस के मुताबिक रईस नाम के इसी शक्स ने खूनी के इशारे पर सिद्धार्थ सिंघवी की लाश को कल्याण हाईवे के पास ठिकाने लगाया है।
अपनी पत्नी और एक बच्चे के साथ मालाबार हिल्स के पास रहने वाले सिद्धार्थ बुधवार रात 8:30 बजे ऑफिस से घर के लिए निकले थे, लेकिन रात में घर नहीं लौटने के बाद घरवालों द्वारा कराए पुलिस कंप्लेंट के बाद अगले दिन सुबह नवी मुंबई के पास केवल उनकी कार खड़ी मिली. इसके साथ ही कार की सीट पर खून के धब्बे भी लगे हुए थे.
पुलिस ने कमला मिल्स स्थित एचडीएफसी दफ्तर के सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले हैं, जिनसे पता चला है कि सांघवी बुधवार शाम 7.30 बजे वहां से निकले थे. सांघवी एचडीएफसी बैंक में सीनियर एनालिस्ट, एसेट एंड लायबिलिटी मैनेजमेंट का काम देख रहे थे.
मुंबई पुलिस ने हत्या के पीछे की वजह भी बताई है, पूछ-ताछ में पुलिस को पता चला है कि सिद्धार्थ की हत्या प्रोफेश्नल जलन की वजह से की गई है। पुलिस ने इस मामले से जुड़े चार लोगों को हिरासत में लिया है जिनमें एक औरत भी शामिल है। लोअर परेल की एन एम जोशी मार्ग की पुलिस ने छानबीन के बाद मालाबार हिल में रहने वाले सिद्धार्थ की हत्या में इन चारों की संलिप्तता की बात रही है। फिलहाल इनके नाम का खुलासा नही किया जा रहा पर पुलिस का दावा है कि सिद्धार्थ की कामयाबी इन लोगों को खटक रही थी और जलन की वजह से उसकी हत्या कर दी गई।
सिद्धार्थ सिंघवी एचडीएफसी बैंक के लोअर परेल ब्रांच में बतौर सीनियर एक्सेक्यूटिव क्रेडिट और मार्केट रिस्क विभाग में कार्यरत था। बैंक के सहकर्मियों के मुताबिक सिद्धार्थ ने 2007 में एचडीएफसी बैंक सीनियर मैनेजर के तौर पर ज्वाइन किया था। 2011 में सिद्धार्थ को प्रमोशन मिला और वो असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट बन गया। इसी तरह बहुत ही कम समय में 2015 में सिद्धार्थ को फिर प्रोमोट करते हुए डेप्युटी वाइस प्रेसिडेंट बना दिया गया और सिर्फ दो साल बाद यानि 2017 में वाइस प्रेसिडेंट। लगातर और बेहद कम समय में मिला तरक्की और पॉवर से सिद्धार्थ के सहकर्मी काफी जलने लगे थे