रायपुर । विश्वविद्यालयों में गड़बड़ियों पर लगाम कसने राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने विश्वविद्यालयों में आवश्यक रूप से लोकपाल तैनात करने का आदेश दिया है। लोकपाल रिटायर डिस्ट्रिक्ट जजों को बनाया जाएगा। राज्यपाल के आदेश के बाद सरकार ने लोकपाल नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है। राज्यपाल के इस फैसले से विश्वविद्यालयों के कुलपति हिल गए हैं।
सिकरेट्री हायर एजुकेशन सुरेंद्र जायसवाल न्यूपावरगेम से इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि राज्यपाल के निर्देश के बाद लोकपाल नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
बताते हैं, यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को लोकपाल नियुक्त करने का निर्देश दिया था। लेकिन, यहां किसी को इस बारे में पता ही नहीं था। विश्वविद्यालय समन्वय समिति की बैठक में राज्यपाल इस बारे में पूछी तो सभी बगले झांकने लगे। राज्यपाल के कहने पर अफसरों ने जब यूजीसी के निर्देश खंगाले तो उसमें साफ तौर पर लोकपाल नियुक्ति के बारे ें लिखा गया था। इसके बाद राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में लोकपाल की नियुक्ति की जाए। बताते हैं, समन्वय समिति की बैठक के बाद अफसरों ने तुरंत लोकपाल के लिए नोटशीट चला दी। समन्वय समिति की बैठक में मुख्यमंत्री डा0 रमन सिंह और उच्च शिक्षा मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय भी मौजूद थे।
यूजीसी के मापदंड के अनुसार रिटायर डिस्ट्रिक्ट जज को विश्वविद्यालयों में लोकपाल बनाया जाएगा। दरअसल, विश्वविद्यालय कुछ साल से कुलपतियों के लूट-खसोट का अड्डा बनकर रह गए हैं। एजुकेशन के क्वालिटी पर किसी कुलपति का ध्यान नहीं रहता। कमीशन के लिए सिर्फ कंक्रीट की इमारतें खड़ी की जा रही है या फिर महंगे और अनावश्यक खरीदी की जा रही है। इसको देखते यूजीसी ने अब लोकपाल नियुक्त करने का निर्देश दिया है। लेकिन, विश्वविद्यालयों ने इसे दबा दिया था।
राज्यपाल विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति भी होती है। अबकी दूसरी विजिट में राज्यपाल ने दो दिन तक कुलपितयों की तगड़ी बैठक लेकर होश उड़ा दी है। राज्य बनने के बाद 18 साल में कुलपतियों और हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट के अफसरों ने देखा कि कुलाधिपति की मीटिंग क्या होती है। अभी तक राजभवन में खानापूर्ति की तरह कुलपतियों की बैठकें होती थी। समन्वय समिति की बैठक भी रस्म अदायगी तक सीमित रहती थी। इस बार मुख्यमंत्री के साथ उच्च शिक्षा मंत्री, कृषि मंत्री पूरे दो घंटे मीटिंग में रहे।
कुलाधिपति की मीटिंग में कुलपति त्राहि माम कर उठे। राज्यपाल ने लगातार दो दिन तक कुलपतियों का पारफारमेंस देखा। पहले दिन दस बजे से दो बजे तक मात्र तीन विश्वविद्यालयों का प्रेजेंटेशन देखी। फिर, अगले दिन चार के। हालांकि, पहले दिन राजभवन के अफसरों ने महामहिम के टाईम को देखते कुलपतियों को जल्दी समेटने का इशारा किया तो राज्यपाल बोलीं….उन्हें डिटेल में बताने दीजिए। बताते हैं, एक-एक कुलपति का प्रेजेंटेशन करीब दो घंटे चला। गवर्नर ने विश्वविद्यालयों का पारफारमेंस आंकने के लिए बीएचयू से प्रोफेसर आलोक राय को पहले से बुलवा लिया था। कुलपति के प्रेजेंटेशन देने के बाद प्रोफेसर राय एक्सपर्ट कमेंट्स देते हुए उन्हें बताते थे कि उनके यहां क्या कमियां है और उन्हें क्या करना चाहिए। कुछ कुलपतियों ने प्रेजेंटेशन में हवा-हवा बात करके मिसगाइड करने की कोशिश की तो उन्हें झिडकी भी मिली। राय के एक्सपर्ट कमें्टस के बाद राज्यपाल अपने नोटबुक में संबंधित विश्वविद्यालय की टिप्स नोट करती थीं।
नेक टीम से विश्वविद्यालयों का मूल्यांकन न कराने पर राज्यपाल ने बेहद सख्ती दिखाई। मीटिंग में उन्हें बताया गया कि सिर्फ पं0 रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय और कला एवं संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ ने ही नेक से मूल्यांकन कराया है। इस पर कुलाधिपति खफा हुईं। बिलासपुर, सरगुजा, बस्तर, दुर्ग और कुशाभाउ ठाकरे पत्रकारिता ने अभी तक नेक से मूल्यांकन नहीं कराया है। कुलाधिपति ने साफ तौर पर कहा कि हर हाल में वे नेक से मूल्यांकन करा लें। एवं रायपुर और खैरागगढ़ विश्वविद्यालय अपना पारफारमेंस सुधारें। जाहिर है, इन दोनों विवि ने नेक से मूल्यांकन कराया है मगर इनका नम्बर 3.5 से कम है। राज्यपाल ने ताकीद की….सभी के अंक 3.5 से उपर आना चाहिए।