
रायपुर। अब आउट सोर्सिंग से नियुक्त विद्यामितान अपनी मांग लेकर सरकार के सामने आ गए हैं। उनकी मांग है कि उन्हें व्याख्याता पंचायत (शिक्षाकर्मी वर्ग-एक) के पद पर नियुक्ति दी जाए।
पांच बार इंटरव्यू करने के बाद भी वहां कोई शिक्षक जाना ही नहीं चाहता था। बच्चों और पालकों ने शिक्षक की कमी को लेकर लोक सुराज और जनदर्शन में लाखों आवेदन दिए। तब सरकार ने आउट सोर्सिंग से शिक्षकों की व्यवस्था का निर्णय लिया। बस्तर और सरगुजा में तीन हजार विषय विशेषज्ञ शिक्षकों की नियुक्ति की गई।
विद्यामितान के लिए योग्यता मास्टर डिग्री तथा बीएड मांगी गई। विद्यामितान ने मेहनत की जिसका परिणाम यह हुआ कि पिछले दो सालों में जशपुर, सरगुजा, बस्तर, दंतेवाड़ा, जगदलपुर, कांकेर, नारायणपुर जैसे दुर्गम क्षेत्रों से छात्रों ने टॉप 5 में जगह बनाई है।
छत्तीसगढ़ के 20 जिलों धमतरी, बिलासपुर, गरियाबंद, महासमुंद, बालोद, बलौदाबाजार, जांजगीर-चांपा, राजनांदगांव, मुंगेली, कोरबा, कबीरधाम, रायगढ़ के पि़छडे इलाकों में विद्यामितान योजना लागू की गई। आज इनकी संख्या लगभग छह हजार है।
गणित, जीव विज्ञान, भौतिक, रसायन शास्त्र, अंग्रजी और कामर्स विषयों में शिक्षा का स्तर ऊंचा उठाने में विद्यामितान का बड़ा योगदान है। विद्यामितान का कहना है कि इतनी मेहनत करने के बाद भी हमारा भविष्य अंधकारमय है। हम सभी छत्तीसगढ़िया हैं। बस्तर और सरगुजा में विद्यामितान शिक्षकों के लिए सरकार 28 हजार वेतन देती है लेकिन नियोक्ता कंपनियों से इन्हें 15 से 17 हजार रूपए ही दिए जाते हैं।
अन्य क्षेत्रों के लिए 18236 रूपए वेतन दिया जाता है लेकिन विद्यामितान को मिलता है 11 से 13 हजार रूपए। महीने में केवल एक दिन का अवकाश दिया जाता है। तबियत खराब होने या अन्य कारण से अवकाश लेने पर कंपनी प्रतिदिन पांच सौ रूपए के हिसाब से सेलेरी काट लेती है।
वेतन हर महीने नहीं मिलता और कभी-कभी तो तीन-चार महीने में एक बार मिलता है। विद्यामितान शिक्षाकर्मी बनने की पूरी योग्यता रखते हैं। उनकी मांग है उनकी मांगों पर भी सरकार ध्यान दे।