आसाराम को 11 दिनों में पकड़ने वाले इस आईपीएस अफसर को मिले धमकी भरे 1600 खत
जोधपुर की विशेष अदालत ने बुधवार को रेप के मामले में आसाराम को दोषी करार देते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई है, पर इस संवेदनशील मामले को अंजाम तक पहुंचाना इतना आसान भी नहीं था । इसकी एक अहम कड़ी हैं आईपीएस अधिकारी अजय पाल लांबा । आज के दिन यह जानना काफी दिलचस्प है कि आखिर पुलिस के शिकंजे में आसाराम कैसे आए और उसमें लांबा की क्या भूमिका थी ।
आईपीएस अधिकारी अजय पाल लांबा उस दिन अपने दफ्तर में थे जब दिल्ली की एक टीम एक नाबालिग बच्ची और अपने पिता के साथ उनसे मिलने 21 अगस्त 2013 को पहुंची । लांबा उस वक्त जोधपुर वेस्ट के डिप्टी कमिश्नर थे । बच्ची ने आसाराम पर यौन शोषण का आरोप लगाया था । फिलहाल ऐंटी करप्शन ब्यूरो में तैनात लांबा के अनुसार पहली बार में उन्हें नाबालिग की बात पर विश्वास ही नहीं हुआ था, उन्हें लगा कि शायद आसाराम की छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है । बाद में उन्हें उस लड़की और उसके परिवार की बात पर विश्वास हुआ |
एक ऐसा बाबा जिसके लाखों अंधभक्त हों, जो हमेशा हजारों समर्थकों से घिरा रहता हो, उस पर यौन उत्पीड़न जैसे आरोप हों, उसे उन अंधभक्तों के बीच से गिरफ्तार करना, वो भी खुद के राज्य से नहीं बल्कि दूसरे राज्य से, यह अपने आप में बड़ा चैलेंज था, लेकिन पुख्ता सबूत और मजबूत रणनीति के चलते राजस्थान की जोधपुर पुलिस ने यौन उत्पीड़न के आरोपी आसाराम को आज से साढ़े चार साल पहले 31 अगस्त 2013 को मध्यप्रदेश के इंदौर से गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की | यह पुलिस की बहुत बड़ी उपलब्धि थी, चार दिन तक पुलिस रिमांड पर रखने के बाद आसाराम को जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद कर दिया गया था |
2013 में मिला था लांबा को केस
लांबा को 20 अगस्त 2013 को आसाराम का केस मिलाए उस वक्त वो जोधपुर वेस्ट के डीसीपी थे। वो बताते हैं कि इस केस में उन्हें कई ऐसी चीजें देखी जो परेशान करने वाली रहींए इसमें लगातार धमकियां, गवाहों की हत्या और मीडिया में केस का रहना भी शामिल है । 2005 बैच के आईपीएस अफसर बताते हैं, मुझे चिट्ठियां आती थीं, जिनमें आसाराम को कुछ भी होने पर मेरे परिवार को मार डालने की धमकी होती थी, फोन पर नए नंबरों से धमकियां रुकती ही नहीं थीं और ये सब तब तक चलता रहा, जब तक मैं उदयपुर शिफ्ट नहीं हो गया ।
इंदौर से किया आसाराम को गिरफ्तार
लांबा के बताये अनुसार आसाराम को गिरफ्तार करना बड़ी चुनौती की तरह था क्योंकि इससे कानून व्यवस्था के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती थी लेकिन रणनीति के तहत पुलिस ने उसे इंदौर से गिरफ्तार किया और पुलिस रिमांड पर रखने के बाद जोधपुर की सेंट्रल जेल भेज दिया । आपको बता दें कि आसाराम के पास ना सिर्फ अरबों की संपत्ति है बल्कि उसके पास हजारों भक्तों की फौज है जो उसके नाम पर हिंसा से भी पीछे नहीं हटते हैं । ऐसे में जाहिर है कि आसाराम के खिलाफ रेप जैसे गंभीर मामले की जांच करना, सुबूत जुटाना, उन्हें अदालत के सामने रखना, पीड़िता को भी सुरक्षा का भरोसा दिलाना आसान काम नहीं था लेकिन लांबा ने ये करके दिखाया ।